भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।। क्षम्यतां नाथ, अधुना अस्माकं दोषः अस्ति। स्तवं यः प्रभाते नरः शूलपाणे पठेत् सर्वदा भर्गभावानुरक्तः । जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥ शबरी सँवारे रास्ता आएंगे राम जी - राम भजन धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल https://shiv-chalisa-lyrics81601.blog2freedom.com/29771467/shiv-chalisa-lyrics-in-gujarati-pdf-an-overview