“कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए “मिरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे मुझको मेरी तन्हाई से अब शिकायत नहीं हूं, खुद ही दर पे दस्तक दूँ और खुद ही पूछूं कौन? हजारों लोग हैं मगर कोई उस जैसा नहीं है। क्यूँ हिज्र https://youtu.be/Lug0ffByUck